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इंटरनेट पर वेबसाइट की उपस्थिति और बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि साइट हर समय पूरी तरह कार्यात्मक है। सरकारी वेबसाइटों से 24x7 के आधार पर जानकारी और सेवाएं प्रदान करने की उम्मीद की जाती है। इसलिए, जहां तक संभव हो वेबसाइट के डाउनटाइम को कम करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए।
इसलिए यह आवश्यक है कि किसी भी घटना में उचित आकस्मिक योजना तैयार की जाए और साइट को कम से कम संभव समय में पुनस्र्थापित करें। संभावित आकस्मिकताओं में शामिल हैं:
वेबसाइट में खराबी: किसी संभावित खराबी/बेईमान तत्वों द्वारा हैकिंग को रोकने के लिए वेबसाइट के लिए सभी संभावित सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए। हालांकि, यदि सुरक्षा उपायों के बावजूद, ऐसी स्थिति होती है, तो उचित आकस्मिक योजना होनी चाहिए, जो तुरंत लागू होनी चाहिए। यदि यह संदेह हो चुका है कि वेबसाइट खराब हो चुकी है, तो साइट को तुरंत अवरुद्ध किया जाना चाहिए। आकस्मिक योजना में स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किया जाना चाहिए कि ऐसी घटनाओं में आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय लेने के लिए किस अधिकारी को अधिकृत किया गया है। इस अधिकृत व्यक्ति का पूरा संपर्क विवरण वेब प्रबंधन टीम के पास हर समय उपलब्ध होना चाहिए। कम से कम संभव समय में मूल साइट को पुनसर््थापित करने के प्रयास किए जाने चाहिए। साथ ही, सुरक्षा में किसी भी कमी का पता लगाने के लिए नियमित सुरक्षा समीक्षा और जांच की जानी चाहिए।
डाटा खराब होना: अपने वेब होस्टिंग सेवा प्रदाता के परामर्श से एक उचित तंत्र तैयार किया जाना चाहिए ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि वेबसाइट का उचित व नियमित बैक-अप लिया जा रहा है। ये डाटा खराब होने पर नागरिकों के लिए सूचना की तेजी से रिकवरी और निरंतर उपलब्धता को सक्षम बनाता है।
हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर खराब होना: हालांकि इस तरह के एक घटना कम ही होती हैं फिर भी कुछ अप्रत्याशित कारण की वजह से सर्वर जिससे वेबसाइट होस्ट की जा रही है, खराब हो जाता है, वेब होस्टिंग सेवा प्रदाता के पास जल्द से जल्द वेबसाइट को बहाल करने के लिए पर्याप्त अतिरिक्त अवसंरचना उपलब्ध होनी चाहिए ।
प्राकृतिक आपदाएं: कुछ प्राकृतिक आपदाओं के कारण ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं, संपूर्ण डेटा सेंटर जहां से वेबसाइट होस्ट की जा रही है, नष्ट हो जाती है या खराब हो जाता है। ऐसी घटनाओं के लिए एक अच्छी योजनाबद्ध आकस्मिक तंत्र होना चाहिए जिससे यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि होस्टिंग सेवा प्रदाता के पास एक भौगोलिक दृष्टि से दूरस्थ स्थान पर स्थापित ‘आपदा पुनर्प्राप्ति केंद्र (डीआरसी)’ है और वेबसाइट को बिना देर किए डीआरसी को दिया गया है और नेट पर दोबारा डाला गया है।
उपरोक्त के अलावा, किसी भी राष्ट्रीय संकट या अप्रत्याशित आपदा की स्थिति में, सरकारी वेबसाइटें जनता को सूचना के विश्वसनीय और तेज स्रोत के रूप में देखा जाता है। ऐसी सभी घटनाओं के लिए एक बेहतर परिभाषित आकस्मिक योजना होनी चाहिए ताकि किसी भी देरी के बिना वेबसाइट पर आपातकालीन जानकारी/संपर्क हैल्पलाइन दिए जा सके। इसके लिए, जन शिकायत केंद्र में संबंधित व्यक्ति ऐसी आपातकालीन जानकारी प्रकाशित करने के लिए जिम्मेदार होना चाहिए और संपूर्ण संपर्क विवरण हर समय उपलब्ध होना चाहिए।